ये जिंदगी क्या हैं !!!
कितना अच्छा लगता था
मुझे लिखना ... अब कांप
रहा हैं हाथ ....
शायद लिखना भूल गयी
पांचवी लाइन पर हाथ में दर्द
हो रहा हैं ...
अपना हस्ताक्षर भूल गयी
क्या इसी के लिए मैं पढी ..
बेचारे मेरे माता- पिता
कितने त्याग सहकर हमें पढाये ..
अब सब कुछ भूल गयी ...
क्या हैं ... यह सभी स्त्रीयों का
ज़िंदगी ऐसा हैं क्या ???
नहीं ... मेरे वैसे कुछ भाग्य दोषी
लोग ही शायद ज़िंदगी जी रहे
होंगे !!!
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